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हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन कर रहा छात्रों का अपराधीकरण

चांदा ब्लास्ट प्रतिनिधी. अविनाश नागदेवे

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के छात्रों द्वारा 30 जनवरी 2024 को गांधी जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजन किया गया था, उक्त कार्यक्रम की सूचना छात्रों ने 29 जनवरी 2020 को विश्वविद्यालय के कुलसचिव को दे दी थी परन्तु विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा गांधी जी की श्रद्धांजलि सभा को प्रारंभ होतें वक्त मनाने से रोक दिया गया छात्रों द्वारा सभा रोके जाने का कारण पूछने पर गाड़ों द्वारा यह कहते हुए बाहर कर दिया गया कि सभा की परमिसन नहीं ली गयी है चूंकि सभा स्टूडेन्ट कॉर्नर पर की जा रही थी जिसकी उन्हें बस सूचना देनी होती है जो उन्होंने दी थी। इसके उपरांत भी उन्हें सभा करने से रोका गया। गांधी जी की कर्मभूमि वाले जिले में गांधी जी की श्रद्धांजलि सभा करने से रोकना गांधी जी का अपमान है विश्वविद्यालय के कुलसचिव की इस मानसिकता से समस्त देश अपमानित हुवा है। हिंदी विश्वविद्यालय में दो छात्रों राजेश यादव और डॉ रजनीश कुमार अम्बेडकर द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति का विरोध किया गया था, जिसका कारण विरोध करने वाले छात्रों ने कुलपति का उस पद के अयोग्य होना बताया है संबंधित सूचना समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। इस मामले को तूल देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने पांच छात्रों का निष्कासन कर दिया। जिनमे 2 छात्र कुलपति के विरोध में सम्मिलित थे, एक छात्र निरंजन कुमार घटना के वक्त विश्वविद्यालय परिसर में ही उपलब्ध नहीं थे तथा 2 अन्य छात्रों विवेक मिश्रा और रामचन्द्र का निष्कासन फेसबुक पोस्ट को आधार बनाते हुए कर दिया गया। 7 फरवरी को एक अन्य छात्र जतिन चौधरी का निष्कासन इस आरोप में कर दिया गया कि उन्होंने अध्यापक और विश्वविद्याल कर्मचारियों से बदसलूकी की है जबकी जतिन चौधरी का कहना है कि संदीप वर्मा नामक अध्यापक ने उन्हें गले से दबाकर मारने की कोशिश की है जिसका वीडियो भी जतिन के पास है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अब तक कुल 6 छात्रों का निष्कासन कर दिया गया है । छात्रों से मुलाकात के दौरान उनके पक्ष का अध्ययन करने के उपरांत यह ज्ञात होता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन उनके साथ गैर कानूनी तरीके से पेश आ रहा है। कुलपति के विरोध के संदर्भ में विद्यार्थियों का कहना है कि उन्होंने जो भी विरोध किया है वह कानून और संविधान के दायरे में रहकर किया है न हीं उन्होंने कानून का उल्लंघन किया है और ना ही तिरंगे का तथा नहीं राष्ट्रगान का अपमान किया है। गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम हो जाने के उपरांत तथा उन्होंने कुलपति को काली पट्टी दिखाया जिस पर अंग्रेजी भाषा में ‘अयोग्य कुलपति वापस जाओ लिखा था। इस समस्त घटना का प्रमाण विश्वविद्यालय के गणतंत्र दिक्स के दौरान रिकॉर्ड किए गए कैमरे में हैं।

घटना स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में घटित हुई है और पुलिस उन्हें उठाकर रामनगर थाने लेकर गयी, दोनों छात्रों ने अपने बयान भी दर्ज करवाये है जिसके उपरांत स्थानीय पुलिस ने उन्हें वापस कैंपस छोड़ दिया।

हिंदी विश्वविद्यालय के छात्र विवेक मिश्र दिनाँक 01/02/2024 से अपने अवैध निलंबन व उन पर हुए जनलेवा हमले के विरुद्ध सत्याग्रह पर बैठे हैं। आज 13 दिन के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई मिलने तक नहीं आया है। मामले पर कोई सुनवाई न होने पर दिनाँक 05/02/2024 से भूख हड़ताल पर है। जिस चलते 7 फरवरी को जिला अस्पताल वर्धा में भर्ती कराया गया वहां से 8 तारीख को नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। जहां पता चला कि भूख हड़ताल के चलते किडनी में दिक्क्त आयी है। और लिवर पर असर पड़ा है जिसके बाद मैंने 10 को डिस्वार्ज लिया और फिर से धरना जारी रखने का निर्णय लिया व मैं धरना स्थल पर 10 तरीख की रात 12 बजे से पुनः शांतिपूवर्क अनसन शुरू किया क्योंकि मेरी परिक्षा 9 फरवरी 2024 से शुरू थी मुझे आशा थी कि मेरे साथ हुए अन्याय पर कुछ सकारात्मक निर्णय आएगा बजाय इसके 7 तारीख रात 10 बजे मुझे यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया और आज तक विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। और उपर से मेरे परिवारवालों को भी डराया और धमकाया जा रहा है। चरवेश कठेरिया छात्र विवेक मिश्र के कैरियर को तबाह करने की धमकी दे चुके हैं।

7फरवरी 2024 रात्रि 9 बजे भूख हड़ताल पर बैठे छात्र विवेक मिश्रा की तबियत काफी गंभीर हो गयी छात्रों ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती करवाया जहां उन्हें डॉक्टर द्वारा ICU में एडमिट कर लिया गया उसी दौरान देर रात्रि विवेक को निलंबन से निष्काषन कर दिया गया, उसी रात्रि को जतिन चौधरी का भी निष्काषन गलत आरोप लगाकर कर दिया गया तथा उसी दिन विश्वविद्यालय के 139 छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा से वंचित किये जाने की नोटिस भी विश्वविद्यालय द्वारा जारी कर दी गयी एक साथ इतने छात्रों को परीक्षा से वंचित किये जाने से घबराए छात्र जब विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन की तरफ जाने लगे तो विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर गाड़ों द्वारा उन्हें लाठियों से पिटा जाने लगा छात्रों द्वारा प्रतिरोध करने पर उन्हें गाड़ों ने पत्थर फेककर मारना प्रारम्भ कर दिया जिसका वीडियो छात्रों द्वारा जारी किया गया एक अन्य छात्र दीपक यादव को सुरक्षा अधिकारी के आदेश पर 30 छात्रों में सिर्फ इस लिए बुरी तरह पीटा की उसने घटना का वीडियो बनाने का प्रयास किया था, दीपक ने इस मामले की FIR भी दर्ज करवाई है। निष्कासित छात्रों का कहना है कि उनको न तो कारण बताओ नोटिस दी गयी, न ही उनका पक्ष सुना गया, न तो विश्वविद्यालय द्वारा उनके निष्काषन से संबंधित कोई जांच कमेटी बनाई गयी है। निष्काषित छात्र विवेक मिश्रा द्वारा अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल अभी भी जारी है परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन अभी तक उनसे मिलने नही आया है।

छात्रों कि तरफ से निरंजन कुमार मुम्बई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में निष्काषन के खिलाफ मामला दर्ज कर किये है, प्रयागराज सेंटर के शोधार्थी रामचंद्र ने इलाहाबाद कोर्ट का दरवाजा अपने निष्काषन के खिलाफ खटखटाया है। अन्य निष्काषित 4 विद्यार्थी भी कोर्ट के शरण में जाने की तैयारी कर रहें हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों का पक्ष बिना जाने

उनका निष्कासन किया जाना उनका अपराधीकरण किए जाने जैसा है।

शेअर करा

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